mata brahmacharini devi kavach
॥ कवच ॥
त्रिपुरा में हृदयेपातुललाटेपातुशंकरभामिनी।
अर्पणासदापातुनेत्रोअर्धरोचकपोलो॥
पंचदशीकण्ठेपातुमध्यदेशेपातुमहेश्वरी॥
षोडशीसदापातुनाभोगृहोचपादयो।
अंग प्रत्यंग सतत पातुब्रह्मचारिणी॥
जुड़ कर औरों को जोड़ कर चले, आओ अपनी संस्कृति को सहज कर चले।
॥ कवच ॥