卐 नृसिंह आरती 卐

नमस्ते नरसिंहाय प्रह्लादाह्लाद-दायिने हिरण्यकशिपोर्वक्षः- शिला-टङ्क-नखालये इतो नृसिंहः परतो नृसिंहो यतो यतो यामि ततो नृसिंहः बहिर्नृसिंहो हृदये नृसिंहो नृसिंहमादिं शरणं प्रपद्ये तव करकमलवरे नखमद्भुत-शृङ्गं दलितहिरण्यकशिपुतनुभृङ्गम् केशव धृतनरहरिरूप जय जगदीश हरे । * नृसिंह आरती की अंतिम तीन पंक्तियाँ श्री दशावतार स्तोत्र से उद्धृत की गईं हैं। ॥ इति श्री नृसिंह आरती ॥   Namaste Narasimhaya Prahladahlada-dayine Continue reading

卐 बाबा गोरखनाथ जी की आरती 卐

जय गोरख देवा जय गोरख देवा | कर कृपा मम ऊपर नित्य करूँ सेवा | शीश जटा अति सुंदर भाल चन्द्र सोहे | कानन कुंडल झलकत निरखत मन मोहे | गल सेली विच नाग सुशोभित तन भस्मी धारी | आदि पुरुष योगीश्वर संतन हितकारी | नाथ नरंजन आप ही घट घट के वासी | करत Continue reading

卐 आरती श्रीमद्भागवतमहापुराण की 卐

आरती अतिपावन पुराण की । धर्म-भक्ति-विज्ञान-खान की ॥ महापुराण भागवत निर्मल । शुक-मुख-विगलित निगम-कल्प-फल ॥ परमानन्द सुधा-रसमय कल । लीला-रति-रस रसनिधान की ॥ ॥ आरती अतिपावन पुरान की… ॥ कलिमथ-मथनि त्रिताप-निवारिणि । जन्म-मृत्यु भव-भयहारिणी ॥ सेवत सतत सकल सुखकारिणि । सुमहौषधि हरि-चरित गान की ॥ ॥ आरती अतिपावन पुरान की… ॥ विषय-विलास-विमोह विनाशिनि । विमल-विराग-विवेक Continue reading

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