|| स्कंदमाता देवी कवच ||

skandmata devi kavach

!! कवच !!
ऐं बीजालिंकादेवी पदयुग्मधरापरा।
हृदयंपातुसा देवी कातिकययुता॥
श्रींहीं हुं ऐं देवी पूर्वस्यांपातुसर्वदा।
सर्वाग में सदा पातुस्कन्धमातापुत्रप्रदा॥
वाणवाणामृतेहुं फट् बीज समन्विता।
उत्तरस्यातथाग्नेचवारूणेनेत्रतेअवतु॥
इन्द्राणी भैरवी चैवासितांगीचसंहारिणी।
सर्वदापातुमां देवी चान्यान्यासुहि दिक्षवै॥

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Translate »
आरती संग्रह
चालीसा संग्रह
मंत्र
Search