katyayani devi kavach
॥ कवच ॥
कात्यायनौमुख पातुकां कां स्वाहास्वरूपणी।
ललाटेविजया पातुपातुमालिनी नित्य संदरी॥
कल्याणी हृदयंपातुजया भगमालिनी॥
जुड़ कर औरों को जोड़ कर चले, आओ अपनी संस्कृति को सहज कर चले।