卐 श्री संतोषी माता चालीसा 卐

॥ दोहा॥ श्री गणपति पद नाय सिर, धरि हिय शारदा ध्यान | संतोषी मां की करुँ, कीर्ति सकल बखान॥ ॥ चौपाई ॥ जय संतोषी मां जग जननी, खल मति दुष्ट दैत्य दल हननी। गणपति देव तुम्हारे ताता, रिद्धि सिद्धि कहलावहं माता॥ माता पिता की रहौ दुलारी, किर्ति केहि विधि कहुं तुम्हारी। क्रिट मुकुट सिर अनुपम Continue reading

卐 श्री वैष्णो देवी चालीसा 卐

॥ दोहा॥ गरुड़ वाहिनी वैष्णवी त्रिकुटा पर्वत धाम काली, लक्ष्मी, सरस्वती, शक्ति तुम्हें प्रणाम ॥ चौपाई ॥ नमो: नमो: वैष्णो वरदानी, कलि काल मे शुभ कल्याणी। मणि पर्वत पर ज्योति तुम्हारी, पिंडी रूप में हो अवतारी॥ देवी देवता अंश दियो है, रत्नाकर घर जन्म लियो है। करी तपस्या राम को पाऊँ, त्रेता की शक्ति कहलाऊँ॥ Continue reading

卐 श्री तुलसी चालीसा 卐

॥ दोहा॥ जय जय तुलसी भगवती सत्यवती सुखदानी। नमो नमो हरि प्रेयसी श्री वृन्दा गुन खानी॥ श्री हरि शीश बिरजिनी, देहु अमर वर अम्ब। जनहित हे वृन्दावनी अब न करहु विलम्ब॥ ॥ चौपाई ॥ धन्य धन्य श्री तुलसी माता। महिमा अगम सदा श्रुति गाता॥ हरि के प्राणहु से तुम प्यारी। हरीहीँ हेतु कीन्हो तप भारी॥ Continue reading

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