卐 श्री गंगा चालीसा 卐

॥ दोहा॥ जय जय जय जग पावनी, जयति देवसरि गंग। जय शिव जटा निवासिनी, अनुपम तुंग तरंग॥ ॥ चौपाई ॥ जय जय जननी हरण अघ खानी। आनंद करनि गंग महारानी॥ जय भगीरथी सुरसरि माता। कलिमल मूल दलनि विख्याता॥ जय जय जहानु सुता अघ हनानी। भीष्म की माता जगा जननी॥ धवल कमल दल मम तनु साजे। Continue reading

卐 श्री पार्वती चालीसा 卐

॥ दोहा॥ जय गिरी तनये दक्षजे शम्भू प्रिये गुणखानि। गणपति जननी पार्वती अम्बे ! शक्ति ! भवानि॥ ॥ चौपाई ॥ ब्रह्मा भेद न तुम्हरे पावे , पंच बदन नित तुमको ध्यावे । षड्मुख कहि न सकत यश तेरो , सहसबदन श्रम करत घनेरो ।। तेरो पार न पावत माता, स्थित रक्षा लय हित सजाता। अधर Continue reading

卐 श्री माँ अन्नपूर्णा चालीसा 卐

॥ दोहा॥ विश्वेश्वर पदपदम की रज निज शीश लगाय । अन्नपूर्णे, तव सुयश बरनौं कवि मतिलाय । ॥ चौपाई ॥ नित्य आनंद करिणी माता, वर अरु अभय भाव प्रख्याता । जय ! सौंदर्य सिंधु जग जननी, अखिल पाप हर भव-भय-हरनी । श्वेत बदन पर श्वेत बसन पुनि, संतन तुव पद सेवत ऋषिमुनि । काशी पुराधीश्वरी Continue reading

Translate »
आरती संग्रह
चालीसा संग्रह
मंत्र
Search