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बाल समय रवि भक्षी लियो तब
तीनहुं लोक भयो अंधियारों ।
ताहि सो त्रास भयो जग को
यह संकट काहु सो जात न टारो ।
देवन आनि करी बिनती तब
छाड़ी दियो रवि कष्ट निवारो ।
को नहीं जानत है जग में कपि
संकटमोचन नाम तिहारो ।
बालि की त्रास कपीस बसैं गिरि
जात महाप्रभु पंथ निहारो ।
चौकिं महामुनि सांप दियो तब
चाहिए कौन बिचार बिचारो ।
कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु
सो तुम दास के सोक निवारो ।
को नहीं जानत है जग में कपि
संकटमोचन नाम तिहारो ।
अंगद के संग लेन गए सिय
खोज कापीस यह बैन उचारो ।
जीवत ना बचिहौ हम सो जु
बिना सुधि लाये इंहा पगु धारो ।
हेरि थके तट सिन्धु सबे तब लाए
सिया – सुधि प्राण उबारो ।
को नहीं जानत है जग में कपि
संकटमोचन नाम तिहारो ।
रावण त्रास दई सियो को सब
राक्षसी सों कहीं सोक निवारो ।
ताहि समय हनुमान महाप्रभु
जाए महा रचनीचर मारो ।
चाहत सीय असोक सों आगि सु
दै प्रभु मुद्रिका सोक निवारो ।
को नहीं जानत है जग में कपि
संकटमोचन नाम तिहारो ।
कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु
सो तुम दास के सोक निवारो ।
को नहीं जानत है जग में कपि
संकटमोचन नाम तिहारो ।
अंगद के संग लेन गए सिय
खोज कापीस यह बैन उचारो ।
जीवत ना बचिहौ हम सो जु
बिना सुधि लाये इंहा पगु धारो ।
हेरि थके तट सिन्धु सबे तब लाए
सिया – सुधि प्राण उबारो ।
को नहीं जानत है जग में कपि
संकटमोचन नाम तिहारो ।
रावण त्रास दई सियो को सब
राक्षसी सों कहीं सोक निवारो ।
ताहि समय हनुमान महाप्रभु
जाए महा रचनीचर मारो ।
चाहत सीय असोक सों आगि सु
दै प्रभु मुद्रिका सोक निवारो ।
को नहीं जानत है जग में कपि
संकटमोचन नाम तिहारो ।
बाण लाग्यो उर लक्ष्मण के तब
प्राण तजे सुत रावन मारो ।
लै गृह वैद्य सुषेन समेत
तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो ।
आनि संजीवन हाथ दई तब
लछिमन के तुम प्रान उबारों
को नहीं जानत है जग में कपि
संकटमोचन नाम तिहारो ।
रावन जुद्व अज़ान कियो तब
नाग कि फांस सबै सिर डारो ।
श्रीरघुनाथ समेत सबै दल
मोह भयो यह संकट भारो ।
आनि खगेस तबै हनुमान जु
बंधन काटि सुत्रास निवारो ।
को नहीं जानत है जग में कपि
संकटमोचन नाम तिहारो ।
बंधु समेत जबै अहिरावन
लै रघुनाथ पाताल सिधारों ।
देबिन्ही पूजि भलि विधि सो बलि
देउ सबै मिलि मंत्र विचारो ।
जाए सहाय भयो तब ही
अहिरावण सैन्य समेत संहारो ।
को नहीं जानत है जग में कपि
संकटमोचन नाम तिहारो ।
काज किए बड़ देवन के तुम
बीर महाप्रभु देखि विचारो ।
कौन सो संकट मोर गरीब को
जो तुमसे नहीं जात है टारो ।
बेगि हरो हनुमान महाप्रभु
जो कछु संकट होय हमारो।
को नहीं जानत है जग में कपि
संकटमोचन नाम तिहारो ।
।। दोहा ।।