नवदुर्गा: माँ दुर्गा के 9 रूप, नवरात्रि में हर दिन के अलग-अलग भोग और प्रसाद और इनका महत्व

प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी। तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम् ।। पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च। सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम् ।। नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा: प्रकीर्तिता:। उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना ।।   नवदुर्गा: माँ दुर्गा के 9 रूप । नवरात्रि में हर दिन के अलग-अलग भोग और प्रसाद और इनका महत्व नवरात्रि में मां दुर्गा को लगाएं ये Continue reading

ऋग्वेद-अध्याय(01)

अध्याय – 1   ऋषि मधुच्छन्दा विश्वामित्र: –     इन्होंने अग्नि वायु, इन्द्र वरुण, अश्विनौ विश्वदेवा, सरस्वती, मरुद, इन सभी के प्रति अपनी श्रध्दा व्यक्त करते हुए सभी सूक्तों को सर्मपित किया है। ऋषि जेता मधुच्छन्दस: –     इन्होंने भी इसी प्रकार से देव इन्द्र की वंदना करते हुए सूक्तों को लिखा है।3. मेधातिथि; काण्व: –  Continue reading

ऋग्वेद-अध्याय(04)

अध्याय – 4   ऋषि भरद्वाजो बृहस्पत्यः– हे द्यावाधरा! महान कर्म वाले मनुष्यों को तुम जल प्रदान करती हो द्यावाघरा जल द्वारा अच्छादित है और जल का ही शरण करती है। वे विस्तीर्ण जल से ओत-प्रोत और जल वृष्टि का विधान करने वाली हो। अनुष्ठान करने वाले यजमान उनसे सुख माँगते हैं। जल का दोहन Continue reading

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