‘महाशिवरात्रि’ के विषय में भिन्न – भिन्न मत हैं, कुछ विद्वानों का मत है कि आज के ही दिन शिवजी और माता पार्वती विवाह-सूत्र में बंधे थे जबकि अन्य कुछ विद्वान् ऐसा मानते हैं कि आज के ही दिन शिवजी ने ‘कालकूट’ नाम का विष पिया था जो सागरमंथन के समय समुद्र से निकला था Continue reading
शिव
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|| शिव कवच ||
shiv kavach वज्रदंष्ट्रं त्रिनयनं कालकण्ठमरिन्दमम्। सहस्रकरमत्युग्रं वन्दे शंभुमुमापतिम् ॥१॥ अथो परं सर्वपुराणगुह्यं निश्शेषपापौघहरं पवित्रम्। जयप्रदं सर्वविपद्प्रमोचनं वक्ष्यामि शैवं कवचं हिताय ते ॥२॥ नमस्कृत्वा महादेवं सर्वव्यापिनमीश्वरं। वक्ष्ये शिवमयं वर्म सर्वरक्षाकरं नृणाम् ॥३॥ शुचौ देशे समासीनो यथावत्कल्पितासनः। जितेन्द्रियो जितप्राणश्चिन्तयेच्छिवमव्ययम् ॥४॥ हृत्पुण्डरीकान्तरसन्निविष्टं स्वतेजसाव्याप्तनभोवकाशम्। अतीन्द्रियं सूक्ष्ममनन्तमाद्यं ध्यायेत्परानन्दमयं महेशम् ॥५॥ ध्यानावधूताखिलकर्मबन्ध-श्चिरं चिदानन्दनिमग्नचेताः। षडक्षरन्याससमाहितात्मा शैवेन कुर्यात्कवचेन रक्षाम् ॥६॥ मां पातु देवोऽखिलदेवतात्मा संसारकूपे पतितं Continue reading
शिव तांडव स्तोत्र
जटाटवीगलज्जल प्रवाहपावितस्थले गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजंगतुंगमालिकाम्। डमड्डमड्डमड्डमनिनादवड्डमर्वयं चकार चंडतांडवं तनोतु नः शिवः शिवम ॥1॥ जटा कटा हसंभ्रम भ्रमन्निलिंपनिर्झरी । विलोलवी चिवल्लरी विराजमानमूर्धनि । धगद्धगद्ध गज्ज्वलल्ललाट पट्टपावके किशोरचंद्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं ममं ॥2॥ धरा धरेंद्र नंदिनी विलास बंधुवंधुर- स्फुरदृगंत संतति प्रमोद मानमानसे । कृपाकटा क्षधारणी निरुद्धदुर्धरापदि कवचिद्विगम्बरे मनो विनोदमेतु वस्तुनि ॥3॥ जटा भुजं गपिंगल स्फुरत्फणामणिप्रभा- Continue reading