हनुमान जी को प्रशन्न करने का उपाय

जय श्री राम मित्रों , इस लेख में हम जानेगे की हम प्रभु श्री हनुमान जी को किस प्रकार से जल्द से जल्द खुश कर सकते है । यदि आप भी बहुत समय से हनुमान जी की पूजा कर रहे है और उसका आपको कोई फल नहीं मिल रहा है तो आपको ये विभिन्न बातें ध्यान में रखना चाहिए ।

इस कलयुग में हनुमान जी ही है जो अपने भक्तों से बहुत ही जल्द प्रशन्न हो जाते हैं। अगर कोई भी भक्त हनुमान जी के सभी नियमों का पालन करता है या नियम पूर्वक हनुमान जी की सेवा करता है। तो उससे हनुमान जी बहुत ही आसानी से प्रसन्न हो जाते है । कई बार साधकों को पता नहीं चलता है कि उनसे पूजा में आखिर कौन सी त्रुटि हो रही है और वे लोग वर्षों तक पूजा करते हैं। तो ऐसे साधकों को फल तो प्राप्त होता है परन्तु उतना नहीं होता जितना कि होना चाहिए ।

इसलिए जब कोई भी साधक नियम पूर्वक हनुमान जी की पूजा पाठ अथवा सेवा करता है तो उससे हनुमान जी बहुत ही जल्द प्रसन्न हो जाते हैं और उसकी सभी मनोकामाएं पूरी करते हैं । अतः हम यदि उन सभी नियमों का कठोरता से पालन करते हैं जो कि हनुमान जी की पूजा के लिए आवश्यक होते हैं । तो हनुमान हमसे प्रसन्न हो जाते हैं और सभी प्रकार के फल देते हैं। वे नियम इस प्रकार है।

१- जब आप हनुमान जी की पूजा या कोई बड़ी साधना करने जा रहे हों तो ध्यान रखे कि अगर ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं तो आपकी पूजा बहुत जलद सिद्ध हो जाएगी । इसलिए सभी भक्तो और साधक जो भी हनुमान जी की पूजा करते हो उन्हें सभी को ब्रह्मचर्य का पालन बहुत कठोरता से करना चाहिए। जिससे कि सिद्धि मिलने में आसानी हो जाय और किसी भी प्रकार की समस्या नहीं आए। साथ ही ब्रह्मचर्य में एक बात का ध्यान अवश्य रखे कि साधक द्वारा किया गया ब्रह्मचर्य शारीरिक ही नहीं अपितु मानसिक भी होना चाहिए । अर्थात यदि साधक शारीरिक ब्रह्मचर्य का तो पालन करता है परन्तु मानसिक ब्रह्मचर्य का पालन नहीं करता है तो इस प्रकार के ब्रह्मचर्य को पूर्ण ब्रह्मचर्य नहीं माना जाएगा।

इस प्रकार जब ऐसे ब्रह्मचर्य को पूर्ण ब्रह्मचर्य नहीं माना जाएगा तो उसके जो फल प्राप्त होंगे वो उतने प्राप्त नहीं होंगे जितने कि पूर्ण ब्रह्मचर्य में होने चाहिए । इसलिए जब भी कोई साधक ब्रह्मचर्य के बारे में सोचता है तो उसे पूर्ण व्रह्मचर्य व्रत का पालन करना चाहिए ।जो कि बिना मानसिक ब्रह्मचर्य के पूर्ण नहीं हो सकता है। अब प्रश्न यह उठता है कि क्या शादी शुदा पुरुष ब्रह्मचर्य का पालन कर सकता है तो उत्तर है हां । परन्तु उसे कुछ बातों का ध्यान अवश्य रखना होगा । अर्थात यदि शादी शुदा पुरुष कुछ नियमों का पालन करे तो वह भी ब्रह्मचर्य का पालन कर सकता है ।

वे नियम इस प्रकार हैं ।

१- सदैव पत्नी व्रता रहना अर्थात किसी दूसरी स्त्री के बारे में विचार भी न करना ।

 

२- यदि कोई बड़ी साधना कर रहे है जो २१- अथवा ४१ दिनों की है तो उस समय काल में पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन किया जाना चाहिए ।

 

३- साधना काल में संभव हो तो धरती पर सोए ।

 

४- साधना काल में अनावश्यक वार्तालाप न करें।

 

अतः इस प्रकार के विभिन्न नियमों का पालन करके साधना की जा सकती है।

 

२- साधना काल में सभी साधकों हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए कुछ बातें अतिआवश्यक रूप में ध्यान रखना चाहिए ।

                         जो कि इस प्रकार है।

१- सभी साधकों को जो भी हनुमान जी के भक्त है और हनुमान जी को जल्द ही प्रश्नन्न करना चाहते हैं। उन्हें हमेशा सत्य का वाचन करना चाहिए। अर्थात उन साधकों को सदैव सच ही बोलना चाहिए । फिर चाहे वे साधना काल में हो अथवा नहीं हो। उन्हें सदैव सच बोलना चाहिए ।क्योंकि यदि अगर कोई साधक अपनी दैनिक दिनचर्या सदैव सच बोलता है तो ऐसे साधकों से प्रभु श्री हनुमान जी बहुत ही आसानी से प्रसन्न हो जाते हैं। ठीक इसके विपरीत यदि कोई साधक अगर झूट बोलता है और साधना करता है तो उस साधक को न तो साधना का पूरा लाभ मिल पाता है । और न ही प्रभु श्री हनुमान जी की कृपा और आशीर्वाद शीघ्रता से मिल पाती है । अतः सभी साधकों अतिआवश्यक रूप से यह बात ध्यान रखना चाहिए कि सदैव सच बोले ।

 

२- जो भक्त हनुमान जी को जल्द ही प्रश्नन्न करना चाहते हैं। वे इस बात का जरूर ध्यान रखें कि जब तक वे अपनी निजी जिंदगी में एक अच्छे इंसान नहीं बनेंगे तब तक उन्हें कृपा में रुकावट का सामना करना पड़ेगा । परन्तु यहां यह बात गौर करने वाली है कि आखिर एक अच्छे इंसान की परिभाषा क्या है। क्योंकि इसमें लोगों में विरोधाभास रहता है । क्योंकि सभी लोगों के लिए एक अच्छे इंसान की परिभाषा अलग अलग होती है। इसके साथ ही सभी लोगों की मान्यता और परंपरा अलग अलग होती है। जिसके हिसाब से उनकी समझ और सोच का विकास अलग अलग रूपों में होता है । फिर भी कुछ पैमाने है जिसमें लगभग सभी लोगों की सहमति होती है । जो कि किसी अच्छे इंसान के लिए आवश्यक है ।

वे इस प्रकार है।

१- अच्छा व्यवहार होना – यहां अच्छे व्यवहार से तात्पर्य यह कि ऐसा इंसान जिसका अपने घर, परिवार और समाज के लोगों के प्रति अच्छा व्यवहार हो ।

 

२- सच बोलना – वह इंसान सदैव सच बोलता हो ।

 

३- मृदु भाषी होना – वह इंसान सदैव मृदुभाषी हो , अर्थात मीठा बोलता हो । जिसकी बातों में कड़वाहट न हो ।

 

४- न्याय प्रिय – जो इंसान सदैव न्याय प्रिय रहता हो। वह किसी भी तरह का भेदभाव न करता हो न तो घर में और न ही घर के बाहर ।

 

५- निंदा – ऐसा इंसान जो किसी की निंदा न करता हो । अर्थात वह इंसान जो किसी की बुराई न करता हो।

 

५- गलत के प्रति विरोध – ऐसा इंसान जो कोई भी गलत कार्य के प्रति विरोध करे ।

 

६- मदत – ऐसा इंसान जो सभी की मदत करे ।

 

७- ऐसा इंसान जो किसी भी जीव में भेदभाव न करे

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