अर्जुन के नामों के अर्थ

अनघः पापरहित, निष्पाप | कपिध्वजः जिसके ध्वज पर कपि माने हनुमान जी हैं वह | कुरुश्रेष्ठः कुरुकुल में उत्पन्न होने वालों में श्रेष्ठ | कुरुनन्दनः कुरुवंश के राजा के पुत्र | कुरुप्रवीरः कुरुकुल में जन्मे हुए पुरुषों में विशेष तेजस्वी | कौन्तेयः कुंती का पुत्र | गुडाकेशः निद्रा को जीतने वाला, निद्रा का स्वामी अथवा गुडाक माने शिव जिसके स्वामी हैं वह | धनंजयः दिग्विजय में सर्व राजाओं को जीतने Continue reading

गीता में श्रीकृष्ण भगवान के नामों के अर्थ

अनन्तरूपः- जिनके अनन्त रूप हैं वह | अच्युतः- जिनका कभी क्षय नहीं होता, कभी अधोगति नहीं होती वह | अरिसूदनः- प्रयत्न के बिना ही शत्रु का नाश करने वाले | कृष्णः ‘कृष्‘- सत्तावाचक है | ‘ण‘ आनन्दवाचक है | इन दोनों के एकत्व का सूचक परब्रह्म भी कृष्ण कहलाता है | केशवः- क माने ब्रह्म को और ईश – शिव को वश में रखने वाले | केशिनिषूदनः- घोड़े का आकार वाले केशि नामक दैत्य का Continue reading

श्रीगीतामाहात्म्य का अनुसंधान

शौनक उवाच गीतायाश्चैव माहात्म्यं यथावत्सूत मे वद। पुराणमुनिना प्रोक्तं व्यासेन श्रुतिनोदितम्।।1।।शौनक ऋषि बोलेः हे सूत जी ! अति पूर्वकाल के मुनि श्री व्यासजी के द्वारा कहा हुआ तथा श्रुतियों में वर्णित श्रीगीताजी का माहात्म्य मुझे भली प्रकार कहिए |(1) सूत उवाच पृष्टं वै भवता यत्तन्महद् गोप्यं पुरातनम्। न केन शक्यते वक्तुं गीतामाहात्म्यमुत्तमम्।।2।। सूत जी बोलेः आपने जो पुरातन Continue reading

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