अच्युतः- जिनका कभी क्षय नहीं होता, कभी अधोगति नहीं होती वह |
अरिसूदनः- प्रयत्न के बिना ही शत्रु का नाश करने वाले |
कृष्णः ‘कृष्‘- सत्तावाचक है | ‘ण‘ आनन्दवाचक है | इन दोनों के एकत्व का सूचक परब्रह्म भी कृष्ण कहलाता है |
केशवः- क माने ब्रह्म को और ईश – शिव को वश में रखने वाले |
केशिनिषूदनः- घोड़े का आकार वाले केशि नामक दैत्य का नाश करने वाले |
कमलपत्राक्षः- कमल के पत्ते जैसी सुन्दर विशाल आँखों वाले |
गोविन्दः- गो माने वेदान्त वाक्यों के द्वारा जो जाने जा सकते हैं |
जगत्पतिः- जगत के पति |
जगन्निवासः–जिनमें जगत का निवास है अथवा जो जगत में सर्वत्र बसे हुए है |
जनार्दनः- दुष्ट जनों को, भक्तों के शत्रुओं को पीड़ित करने वाले |
देवदेवः- देवताओं के पूज्य |
देववरः- देवताओं में श्रेष्ठ |
पुरुषोत्तमः- क्षर और अक्षर दोनों पुरुषों से उत्तम अथवा शरीररूपी पुरों में रहने वाले पुरुषों यानी जीवों से जो अति उत्तम, परे और विलक्षण हैं वह |
भगवानः- ऐश्वर्य, धर्म, यश, लक्ष्मी, वैराग्य और मोक्ष… ये छः पदार्थ देने वाले अथवा सर्व भूतों की उत्पत्ति, प्रलय, जन्म, मरण तथा विद्या और अविद्या को जानने वाले |
भूतभावनः- सर्वभूतों को उत्पन्न करने वाले |
भूतेशः- भूतों के ईश्वर, पति |
मधुसूदनः- मधु नामक दैत्य को मारने वाले |
महाबाहूः- निग्रह और अनुग्रह करने में जिनके हाथ समर्थ हैं वह |