भगवान की आरती क्यों की जाती है ? ‘आरती’ शब्द संस्कृत के ‘आर्तिका’ शब्द से बना है जिसका अर्थ है अरिष्ट, विपत्ति, आपत्ति, कष्ट, क्लेश । भगवान की आरती को ‘नीराजन’ भी कहते हैं । नीराजन का अर्थ है ‘विशेष रूप से प्रकाशित करना’ । आरती के इन्हीं दो अर्थों के आधार पर भगवान की Continue reading
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शंख की उत्पत्ति कथा तथा शंख-ध्वनि की महिमा
शंख की उत्पत्ति कथा तथा शंख-ध्वनि की महिमा! समुद्र-मंथन के समय समुद्र से जो १४ रत्न निकले, उनमें एक शंख भी है; इसलिए इसे ‘समुद्रतनय’ कहते हैं और यह लक्ष्मीजी का भाई माना जाता है। शंख में साक्षात् भगवान श्रीहरि का निवास है और वे इसे सदैव अपने हाथ में धारण करते हैं । मंगलकारी Continue reading
विष्णु के पैरों में ही क्यों रहती हैं महालक्ष्मी
विष्णु के पैरों में ही क्यों रहती हैं महालक्ष्मी〰हम सभी ने भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के कई चित्र देखें हैं। अनेक चित्रों में भगवान विष्णु को बीच समुद्र में शेषनाग के ऊपर लेटे और माता लक्ष्मी को उनके चरण दबाते हुए दिखाया जाता है। माता लक्ष्मी यूं तो धन की देवी हैं तो भी Continue reading