श्री गणेश मूल मंत्र ॐ गं गणपतये नमःॐ श्री विघ्नेश्वराय नमः |
मंत्र
मंत्र शब्द मन +त्र के संयोग से बना है !मन का अर्थ है सोच ,विचार ,मनन ,या चिंतन करना ! और “त्र ” का अर्थ है बचाने वाला , सब प्रकार के अनर्थ, भय से !लिंग भेद से मंत्रो का विभाजन पुरुष ,स्त्री ,तथा नपुंसक के रूप में है !पुरुष मन्त्रों के अंत में “हूं फट ” स्त्री मंत्रो के अंत में “स्वाहा ” ,तथा नपुंसक मन्त्रों के अंत में “नमः ” लगता है ! मंत्र साधना का योग से घनिष्ठ सम्बन्ध है…
श्री हनुमान मंत्र
श्री हनुमान मंत्र मनोजवं मारुततुल्यवेगम् |जितेन्दि्रयं बुद्धिमतां वरिष्थम् |वातात्मजं वानरयूथमुख्यं |श्री रामदूमं शरण प्रपद्ये ||
श्री सूर्य मंत्र
श्री सूर्य मंत्र आ कृष्णेन् रजसा वर्तमानो निवेशयत्र अमतं मर्त्य चहिरणययेन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन ||