卐 श्री सूर्य चालीसा 卐

॥ दोहा॥ कनक बदन कुण्डल मकर, मुक्ता माला अंग, पद्मासन स्थित ध्याइए, शंख चक्र के संग॥ ॥ चौपाई ॥ जय सविता जय जयति दिवाकर!, सहस्त्रांशु! सप्ताश्व तिमिरहर॥ भानु! पतंग! मरीची! भास्कर!, सविता हंस! सुनूर विभाकर॥ विवस्वान! आदित्य! विकर्तन, मार्तण्ड हरिरूप विरोचन॥ अम्बरमणि! खग! रवि कहलाते, वेद हिरण्यगर्भ कह गाते॥ सहस्त्रांशु प्रद्योतन, कहिकहि, मुनिगन होत प्रसन्न Continue reading

卐 श्री शिव चालीसा 卐

॥ दोहा॥ जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान। कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान।। ॥ चौपाई ॥ जय गिरिजापति दीन दयाला, सदा करत सन्तन प्रतिपाला। भाल चन्द्रमा सोहत नीके, कानन कुण्डल नागफनी के।। अंग गौर शिर गंग बहाये, मुण्डमाल तन छार लगाये। वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे, छवि को देख नाग मुनि मोहे।। मैना मातु Continue reading

卐 श्री हनुमान चालीसा 卐

॥ दोहा॥ श्री गुरु चरण सरोज रज निज मन मुकुर सुधार | बरनउँ रघुवर बिमल जसु जो दायक फल चारि | बुद्धिहीन तनु जानि के सुमिरौं पवन कुमार | बल बुद्धि विद्या देहु मोहि हरहु कलेश विकार | ॥ चौपाई ॥ जय हनुमान ज्ञान गुन सागर । जय कपीश तिहुँ लोक उजागर ॥ राम दूत Continue reading

Translate »
आरती संग्रह
चालीसा संग्रह
मंत्र
Search