卐 श्री कुबेर चालीसा 卐

॥ दोहा॥ जैसे अटल हिमालय और जैसे अडिग सुमेर । ऐसे ही स्वर्ग द्वार पै, अविचल खड़े कुबेर ॥ विघ्न हरण मंगल करण, सुनो शरणागत की टेर । भक्त हेतु वितरण करो, धन माया के ढ़ेर ॥ ॥ चौपाई ॥ जै जै जै श्री कुबेर भण्डारी । धन माया के तुम अधिकारी ॥ तप तेज Continue reading

卐 श्री कृष्ण चालीसा 卐

॥ दोहा॥ वंशी शोभित कर मधुर, नील जलद तन श्याम। अरुण अधर जनु बिम्बफल, नयन कमल अभिराम॥ पूर्ण इन्द्र, अरविन्द मुख, पीताम्बर शुभ साज। जय मनमोहन मदन छवि, कृष्णचन्द्र महाराज॥ ॥ चौपाई ॥ जय यदुनंदन जय जगवंदन। जय वसुदेव देवकी नन्दन॥ जय यशुदा सुत नन्द दुलारे। जय प्रभु भक्तन के दृग तारे॥ जय नटनागर, नाग Continue reading

卐 श्री राम चालीसा 卐

॥ चौपाई ॥ श्री रघुवीर भक्त हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी॥ निशि दिन ध्यान धरै जो कोई। ता सम भक्त और नहिं होई॥ ध्यान धरे शिवजी मन माहीं। ब्रह्म इन्द्र पार नहिं पाहीं॥ दूत तुम्हार वीर हनुमाना। जासु प्रभाव तिहूं पुर जाना॥ तब भुज दण्ड प्रचण्ड कृपाला। रावण मारि सुरन प्रतिपाला॥ तुम अनाथ के Continue reading

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