अग्नि जिमाने का मन्त्र ॐ भूपतये स्वाहा, ॐ भुवनप, ॐ भुवनपतये स्वाहा ।ॐ भूतानां पतये स्वाहा ।।कहकर तीन आहूतियाँ बने हुए भोजन को डालें । या।। ॐ नमो नारायणाय ।। कहकर नमक रहित अन्न को अग्नि में डालें ।
संग्रह
अन्नपूर्णा मन्त्र
अन्नपूर्णा मन्त्र अन्नपूर्णे सदा पूर्णे शंकरप्राणवल्लभे ।ज्ञानवैराग्यसिद्ध्य भिक्षां देहि च पार्वति ।।
प्रदक्षिणा मन्त्र या परिक्रमा मन्त्र क्यों और कितनी करनी चाहिए ।
प्रदक्षिणा मन्त्र या परिक्रमा मन्त्र यानि कानि च पापानि जन्मान्तरकृतानि च ।तानि तानि प्रणश्यन्ति प्रदक्षिण पदे पदे ।। इसका तात्पर्य यह है कि हे ईश्वर हमसे जाने अनजाने में किये गये और जन्मों के भी सारे पाप प्रदक्षिणा के साथ-साथ नष्ट हो जाए। हे ईश्वर मुझे सद्बुद्धि प्रदान करें। परिक्रमा के समय हाथ में रखे Continue reading