हमारे शरीर के चारों तरफ 4-6 इंच के घेरे में हमारा ऊर्जा शरीर होता है, जिसे अंग्रेजी मेंAURAभी कहते है। रोग एवं तनावग्रस्त व्यक्तिमें यह सिकुड़कर कुछ सेंटीमीटर रह जाता है। इसके विपरीत जो साधक या सिद्ध-पुरुष होते हैं उनकाAURAकुछ मीटर या उससे भी ज्यादा हो सकता है। इसके अलावा जो व्यक्ति मन, वचन एवं Continue reading
संग्रह
वैदिक हिलींग का महत्त्व एवं उपयोग वैदिक हिलींग बहुत सौम्य ऊर्जा होने के साथ-साथ बहुत प्रभावी होती है। इसके उपयोग के लंबे इतिहास में यह हृदय रोग, कैंसर, अस्थि भंग, अनिद्रा, थकान, सिरदर्द, चर्म रोग, डिप्रेशन इत्यादि में प्रभावी सिद्ध हुई है। यदि उपचार की अन्य विधियों के साथ में इसका उपयोग किया जाता है Continue reading
पूजा आदि कर्म में आसान का महत्त्व
〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️हमारे महर्षियों के अनुसार जिस स्थान पर प्रभु को बैठाया जाता है, उसे दर्भासन कहते हैं और जिस पर स्वयं साधक बैठता है, उसे आसन कहते हैं। योगियों की भाषा में यह शरीर भी आसन है और प्रभु के भजन में इसे समर्पित करना सबसे बड़ी पूजा है। जैसा देव वैसा भेष वाली बात भक्त Continue reading