|| बगला प्रत्यङ्गिरा कवच ||

भगवती बगलामुखी की उपासना कलियुग में सभी कष्टों एवं दुखों से मुक्ति प्रदान करने वाली है।

संसार में कोई कष्ट अथवा दुख ऐसा नही है जो भगवती पीताम्बरा की सेवा एवं उपासना से दूर ना हो सकता हो, बस साधकों को चाहिए कि धैर्य पूर्वक प्रतिक्षण भगवती की सेवा करते रहें।

विनियोग:
ॐ अस्य श्री बगला प्रत्यंगिरा कवच मंत्रस्य नारद ऋषिः स्त्रिष्टुपछन्दः प्रत्यंगिरा देवता ह्लीं बीजं हूँ शक्तिः ह्रीं कीलकं ह्लीं ह्लीं ह्लीं ह्लीं प्रत्यंगिरा मम शत्रु विनाशे विनियोगः |

ॐ प्रत्यंगिरायै नमः प्रत्यंगिरे सकल कामान साधय मम रक्षां कुरु कुरु सर्वान शत्रुन खादय खादय,मारय मारय,घातय घातय, ॐ ह्रीं फट स्वाहा |

ॐ भ्रामरी स्तम्भिनी देवी क्षोभिणी मोहिनी तथा |
संहारिणी द्राविणी च जृम्भणी रौद्ररूपिणी ||

इत्यष्टौ शक्तयो देवि शत्रु पक्षे नियोजताः |
धारयेत कण्ठदेशे च सर्व शत्रु विनाशिनी ||

ॐ ह्रीं भ्रामरी सर्व शत्रून भ्रामय भ्रामय ॐ ह्रीं स्वाहा |
ॐ ह्रीं स्तम्भिनी मम शत्रून स्तम्भय स्तम्भय ॐ ह्रीं स्वाहा |
ॐ ह्रीं क्षोभिणी मम शत्रून क्षोभय क्षोभय ॐ ह्रीं स्वाहा |
ॐ ह्रीं मोहिनी मम शत्रून मोहय मोहय ॐ ह्रीं स्वाहा |
ॐ ह्रीं सँहारिणी मम शत्रून संहारय संहारय ॐ ह्रीं स्वाहा |
ॐ ह्रीं द्राविणी मम शत्रून द्रावय द्रावय ॐ ह्रीं स्वाहा |
ॐ ह्रीं जृम्भिणी मम शत्रून जृम्भय जृम्भय ह्रीं ॐ स्वाहा |
ॐ ह्रीं रौद्रि मम शत्रून संतापय संतापय ॐ ह्रीं स्वाहा |

|| इति बगला प्रत्यंगिरा कवच ||

बगला प्रत्यङ्गिरा कवच

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