महाशिवरात्रि भगवान शिव को एक संहारक से कही पहले एक ज्ञानी माना जाता हैं. योगिक परंपरा के अनुसार शिव कोई देगा नहीं बल्कि आदि गुरु है जिन्होंने सबसे पहले ज्ञान प्राप्त किया और उस ज्ञान का प्रसारण किया। जिस दिन उन्होंने ज्ञान की चरम सीमा को छुआ और वह स्थिर हुए और उस दिन को शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता हैं.
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महाशिवरात्रि पर्व के यदि धार्मिक महत्व की बात की जाए तो महाशिवरात्रि शिव और माता पार्वती के विवाह की रात्रि मानी जाती है.इस वर्ष महाशिवरात्रि का पर्व 01 मार्च, मंगलवार को है. चतुर्दशी तिथि मंगलवार की सुबह 03 बजकर 16 मिनट से शुरू होकर 02 मार्च, बुधवार को सुबह करीब 10 बजे तक रहेगी.
महाशिवरात्रि (Maha Shivratri 2023) को साल की सबसे बड़ी शिवरात्रि माना जाता है. हर साल फाल्गुन मास के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी तिथि को इस पर्व को मनाया जाता है. यह माना जाता है कि इसी दिन महादेव और माता पार्वती (Mahadev and Mata Parvati) का विवाह हुआ था. ये दिन माता पार्वती और महादेव के साथ उनके भक्तों के लिए भी विशेष है. इस दिन सुबह से ही मंदिरों में भक्तों की कतार लग जाती है. लोग महादेव का विशेष पूजन करने के साथ उपवास भी रखते हैं और भगवानशिव से अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं. महाशिवरात्रि की रात को जागरण का भी विशेष महत्व बताया गया है. इस बार महाशिवरात्रि का पर्व 18 फरवरी, 2023 (शनिवार) के दिन मनाया जाएगा.
महाशिवरात्रि शुभ मुहूर्त
महाशिवरात्रि 1 मार्च को सुबह 3 बजकर 16 मिनट से शुरू होकर 2 मार्च को सुबह 10 तक रहेगी. शिवरात्रि की रात को पूजा 4 पहर में की जाती है. पहले पहर की पूजा शाम 6:21 मिनट से रात्रि 9:27 मिनट के बीच की जाएगी. दूसरे पहर की पूजा रात 9:27 मिनट से 12: 33 मिनट के बीच, तीसरे पहर की पूजा रात 12:33 मिनट से सुबह 3:39 बजे के बीच और चौथे पहर की पूजा 3:39 मिनट से 6:45 मिनट के बीच की जाएगी. 2 मार्च को ही व्रत का पारण किया जाएगा. व्रत पारण का शुभ समय सुबह 6:45 बजे तक रहेगा.
इसलिए किया जाता है रात्रि में जागरण
धार्मिक मान्यता है कि महाशिवरात्रि की रात माता पार्वती और महादेव के मिलन की रात है. इस रात को भजन, कीर्तन और पूजन करके सेलिब्रेट करना चाहिए. लेकिन वैज्ञानिक रूप से देखा जाए तो महाशिवरात्रि की रात को ग्रह का सेंट्रल फ्यूगल फोर्स एक खास तरह से काम करता है और ये बल ऊपर की ओर गति करता है. इस कारण हमारे शरीर की ऊर्जा का प्रवाह प्राकृतिक रूप से ऊपर की ओर होता है. यही वजह है कि महाशिवरात्रि की रात को रीढ़ की हड्डी सीधी करके ध्यान मुद्रा में बैठने की बात कही जाती है. इससे आपकी ऊर्जा प्राकृतिक रूप से ऊपर की ओर चढ़ती है और व्यक्ति प्राकृतिक रूप से आध्यात्मिक शिखर की ओर तेजी से बढ़ता है और परमात्मा से जुड़ता है. इससे उसका तेज भी बढ़ता है.
महाशिवरात्रि को इस तरह करना चाहिए महादेव का पूजन
महाशिवरात्रि का पूरा दिन महादेव और माता पार्वती को समर्पित होता है. इस दिन उनका व्रत रखकर विशेष रूप से पूजन करना चाहिए. इसके लिए शिवरात्रि के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके भगवान के व्रत का संकल्प लें. इसके बाद शिवलिंग का जलाभिषेक करें. घर में सुबह से महादेव के समक्ष एक दीपक जलाएं जिसे अगले दिन सुबह तक जलने दें. ये अखंड दीपक बेहद शुभ माना गया है. इसके बाद महादेव को बेलपत्र, भांग, धतूरा, जायफल, कमल गट्टे, फल, मिष्ठान, मीठा पान, इत्र आदि चढ़ाएं. मातारानी को सुहाग का सामान चढ़ाएं और दक्षिणा अर्पित करें. इसके बाद शिव चालीसा का पाठ करें. ‘ॐ नमः शिवाय’ या ‘ॐ नमो भगवते रूद्राय नम:’ मंत्र का जाप करें. इसके बाद प्रेम पूर्वक आरती गाएं और आखिर में केसर युक्त खीर का भोग लगा कर प्रसाद बांटें.
Mahashivratri Puja Muhurat: महाशिवरात्रि पूजा मुहूर्त
महाशिवरात्रि पहले प्रहर की पूजा: 1 मार्च 2022 को 6:21 pm से 9:27 pm तक
महाशिवरात्रि दूसरे प्रहर की पूजा: 1 मार्च को रात्रि 9:27 pm से 12:33 am तक
महाशिवरात्रि तीसरे प्रहर की पूजा: 2 मार्च को रात्रि 12:33 am से सुबह 3:39 am तक
महाशिवरात्रि चौथे प्रहर की पूजा: 2 मार्च 2022 को 3:39 am से 6:45 am तक
व्रत का पारण: 2 मार्च 2022, बुधवार को 6:45 am
Mahashivratri Puja Samagri: शिव पूजा सामग्री
शिवरात्रि के दिन शिव जी का पंचामृत से अभिषेक करें. चंदन का तिलक लगाएं. बेलपत्र, भांग, धतूरा, गन्ने का रस, जायफल, कमल गट्टे, फल, मिष्ठान, मीठा पान, इत्र और वस्त्र आदि अर्पित करें. शिव जी के समुख दीप जलाएं और केसर युक्त खीर का भोग लगाएं. ॐ नमो भगवते रूद्राय, ॐ नमः शिवाय, रूद्राय शम्भवाय भवानीपतये नमो नमः मंत्र का जाप करें..
Mahashivratri 2023: शिव को शंख से जल नहीं चढ़ाया जाता
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव ने शंखचूड़ नाम के असुर का वध किया था. इसलिए भगवान शिव को शंख से जल नहीं चढ़ाया जाता है. साथ ही शंख को असुर का प्रतीक माना जाता है जो भगवान विष्णु का भक्त था. इसलिए विष्णु भगवान की पूजा शंख से की जाती है.
Mahashivratri 2023: शिव को कभी भी हल्दी नहीं चढ़ाते हैं
शिव को कभी भी हल्दी नहीं चढ़ाते हैं. शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग पुरुष तत्व का प्रतीक है और हल्दी स्त्रियों से संबंधित है. इसी कारण धार्मिक रूप से शिवलिंग पर हल्दी लगाने या चढ़ाने से मना किया जाता है.
Mahashivratri 2023: भगवान शिव को नहीं चढ़ाना चाहिए सिंदूर
भगवान शिव को छोड़कर सिंदूर सभी देवी-देवताओं का प्रिय है. भगवान शिव को सिंदूर इसलिए नहीं चढ़ाया जाता है कि क्योंकि हिंदू महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए इसे लगाती है. वहीं भगवान शिव संहारक है. इसलिए भगवान शिव को सिंदूर चढ़ाने के बजाय चंदन का तिलक लगाना शुभ माना गया है.
Mahashivratri 2023: भगवान शिव को नहीं चढ़ाए जाते हैं केतकी के फूल
भगवान शिव को केतकी के फूल नहीं चढ़ाये जाते हैं. इसके पीछे कथा बतायी जाती है जिसके अनुसार, एक बार ब्रह्माजी और विष्णुजी में विवाद छिड़ गया कि दोनों में श्रेष्ठ कौन है. ब्रह्माजी सृष्टि के रचयिता होने के कारण श्रेष्ठ होने का दावा कर रहे थे और भगवान विष्णु पूरी सृष्टि के पालनकर्ता के रूप में स्वयं को श्रेष्ठ कह रहे थे. तभी वहां एक विराट लिंग प्रकट हुआ. दोनों देवताओं ने सहमति से यह निश्चय किया गया कि जो भी पहले इस लिंग के छोर का पता लगाएगा उसे ही श्रेष्ठ माना जाएगा. अत: दोनों विपरीत दिशा में शिवलिंग की छोर ढूढंने निकले. छोर न मिलने के कारण विष्णुजी लौट आए. ब्रह्मा जी भी सफल नहीं हुए परंतु उन्होंने आकर विष्णुजी से कहा कि वे छोर तक पहुंच गए थे. उन्होंने केतकी के फूल को इस बात का साक्षी बताया. ब्रह्मा जी के असत्य कहने पर स्वयं शिव वहां प्रकट हुए और उन्होंने ब्रह्माजी का एक सर काट दिया और केतकी के फूल को श्राप दिया कि शिव पूजा में कभी भी केतकी के फूलों का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. तभी से भगवान शिव की पूजा में केतकी के पुष्प नहीं चढ़ाए जाते हैं.
महाशिवरात्रि चारों प्रहर पूजा मुहूर्त
महाशिवरात्रि पहले प्रहर की पूजा: 1 मार्च 2022 को 6:21 pm से 9:27 pm तक
महाशिवरात्रि दूसरे प्रहर की पूजा: 1 मार्च को रात्रि 9:27 pm से 12:33 am तक
महाशिवरात्रि तीसरे प्रहर की पूजा: 2 मार्च को रात्रि 12:33 am से सुबह 3:39 am तक
महाशिवरात्रि चौथे प्रहर की पूजा: 2 मार्च 2022 को 3:39 am से 6:45 am तक
व्रत का पारण: 2 मार्च 2022, बुधवार को 6:45 am
Mahashivratri 2023: जागरण क्यों करना चाहिए जानें
ऋषि महर्षियों ने समस्त आध्यात्मिक अनुष्ठानों में उपवास को महत्त्वपूर्ण माना है. गीता के अनुसार उपवास विषय निवृत्ति का अचूक साधन है. आध्यात्मिक साधना के लिये उपवास करना परमावश्यक है. उपवास के साथ रात्रि जागरण का महत्व है. उपवास से इन्द्रियों और मन पर नियंत्रण करने वाला संयमी व्यक्ति ही रात्रि में जागकर अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रयत्नशील हो सकता है. इन्हीं सब कारणों से इस महारात्रि में उपवास के साथ रात्रि में जागकर शिव पूजा करते हैं .
शिवलिंग पर इस तरह चढ़ाएं बेल पत्र
कहते हैं कि शिवलिंग पर हमेशा उल्टा बेलपत्र अर्पित करना चाहिए. बेल पत्र का चिकना भाग अंदर की तरफ यानी शिवलिंग की तरफ होना चाहिए.
Mahashivratri 2023 Date: घर पर कर सकते हैं पूजन
वैसे तो इस दिन मंदिर जाकर पूजन करना विशेष फलदायी होता है, लेकिन यदि आप नहीं जा पाते हैं तब भी घर पर ही पूजन करें.
Shivratri kab hai: शिवरात्रि के दिन करें ये काम
शिवरात्रि के दिन शिव जी का पंचामृत से अभिषेक करें. चंदन का तिलक लगाएं. बेलपत्र, भांग, धतूरा, गन्ने का रस, जायफल, कमल गट्टे, फल, मिष्ठान, मीठा पान, इत्र और वस्त्र आदि अर्पित करें. शिव जी के समुख दीप जलाएं और केसर युक्त खीर का भोग लगाएं. ॐ नमो भगवते रूद्राय, ॐ नमः शिवाय, रूद्राय शम्भवाय भवानीपतये नमो नमः मंत्र का जाप करें..
शंख से जल चढ़ाना शिव को नहीं भाता
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव ने शंखचूड़ नाम के असुर का वध किया था. इसलिए भगवान शिव को शंख से जल नहीं चढ़ाया जाता है. साथ ही शंख को असुर का प्रतीक माना जाता है जो भगवान विष्णु का भक्त था. इसलिए विष्णु भगवान की पूजा शंख से की जाती है.
Maha Shivratri 2023: भगवान शिव को सिंदूर नहीं चढ़ाना चाहिए
भगवान शिव को छोड़कर सिंदूर सभी देवी-देवताओं का प्रिय है. भगवान शिव को सिंदूर इसलिए नहीं चढ़ाया जाता है कि क्योंकि हिंदू महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए इसे लगाती है. वहीं भगवान शिव संहारक है. इसलिए भगवान शिव को सिंदूर चढ़ाने के बजाय चंदन का तिलक लगाना शुभ माना गया है.
इस कारण से शिव को नहीं चढ़ाते हैं तुलसी
शिव पुराण के अनुसार, जालंधर नाम का असुर भगवान शिव के हाथों मारा गया था. जालंधर को एक वरदान मिला हुआ था कि उसे अपनी पत्नी की पवित्रता की वजह से उसे कोई भी अपराजित नहीं कर सकता है. लेकिन जालंधर को मरने के लिए भगवान विष्णु को जालंधर की पत्नी तुलसी की पवित्रता को भंग करना पड़ा. अपने पति की मौत से नाराज़ तुलसी ने भगवान शिव का बहिष्कार कर दिया था.इसी वजह से तुलसी का प्रयोग शिव पूजा करने की मनाही है
प्रहर के अनुसार शिवलिंग स्नान विधि
सनातन धर्म के अनुसार शिवलिंग स्नान के लिये रात्रि के प्रथम प्रहर में दूध, दूसरे में दही, तीसरे में घृत और चौथे प्रहर में मधु, यानी शहद से स्नान कराने का विधान है. इतना ही नहीं चारों प्रहर में शिवलिंग स्नान के लिये मंत्र भी अलग हैं जानें…
प्रथम प्रहर में- ‘ह्रीं ईशानाय नमः’
दूसरे प्रहर में- ‘ह्रीं अघोराय नमः’
तीसरे प्रहर में- ‘ह्रीं वामदेवाय नमः’
चौथे प्रहर में- ‘ह्रीं सद्योजाताय नमः’।। मंत्र का जाप करना चाहिए.
इसके साथ ही व्रती को पूजा, अर्घ्य, जप और कथा सुननी चाहिए और स्तोत्र पाठ करना चाहिए. अंत में भगवान शिव से भूलों के लिए क्षमा जरूर मांगनी चाहिए.
महाशिवरात्रि पूजा विधि
महाशिवरात्रि के दिन सबसे पहले शिवलिंग में चन्दन के लेप लगाकर पंचामृत से शिवलिंग को स्नान कराएं.
दीप और कर्पूर जलाएं.
पूजा करते समय ‘ऊं नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें.
शिव को बिल्व पत्र और फूल अर्पित करें.
शिव पूजा के बाद गोबर के उपलों की अग्नि जलाकर तिल, चावल और घी की मिश्रित आहुति दें.
होम के बाद किसी भी एक साबुत फल की आहुति दें.
सामान्यतया लोग सूखे नारियल की आहुति देते हैं.
महाशिवरात्रि 2023, पूजा मुहूर्त, पारण का समय जान लें
महाशिवरात्रि 1 मार्च को सुबह 3 बजकर 16 मिनट से शुरू होकर 2 मार्च को सुबह 10 तक रहेगी.
पहला प्रहर का मुहूर्त-:1 मार्च शाम 6 बजकर 21 मिनट से रात्रि 9 बजकर 27 मिनट तक है.
दूसरे प्रहर का मुहूर्त-: 1 मार्च रात्रि 9 बजकर 27 मिनट से 12 बजकर 33 मिनट तक है.
तीसरे प्रहर का मुहूर्त-: 1 मार्च रात्रि 12 बजकर 33 मिनट से सुबह 3 बजकर 39 मिनट तक है.
चौथे प्रहर का मुहूर्त-: 2 मार्च सुबह 3 बजकर 39 मिनट से 6 बजकर 45 मिनट तक है.
पारण समय-: 2 मार्च को सुबह 6 बजकर 45 मिनट के बाद है.
Mahashivratri 2023: पूजा मुहूर्त, पारण समय
आइए जानते हैं इस दिन चार पहर की पूजा का समय
महाशिवरात्रि पहले पहर की पूजा: 1 मार्च 2022 को 6:21 pm से 9:27 pm तक
महाशिवरात्रि दूसरे पहर की पूजा: 1 मार्च को रात्रि 9:27 pm से 12:33 am तक
महाशिवरात्रि तीसरे पहर की पूजा: 2 मार्च को रात्रि 12:33 am से सुबह 3:39 am तक
महाशिवरात्रि चौथे पहर की पूजा: 2 मार्च 2022 को 3:39 am से 6:45 am तक
व्रत का पारण: 2 मार्च 2022, बुधवार को 6:45 am
Mahashivratri 2023: महाशिवरात्रि का महत्व
महाशिवरात्रि पर्व के यदि धार्मिक महत्व की बात की जाए तो महाशिवरात्रि शिव और माता पार्वती के विवाह की रात्रि मानी जाती है. मान्यता है इस दिन भगवान शिव ने सन्यासी जीवन से ग्रहस्थ जीवन की ओर रुख किया था. महाशिवरात्रि की रात्रि को भक्त जागरण करके माता-पार्वती और भगवान शिव की आराधना करते हैं. मान्यता है जो भक्त ऐसा करते हैं उनकी सभी मनोकामना पूरी होती है.
Mahashivratri 2023: महाशिवरात्रि पूजा विधि
फाल्गुन मास में आने वाली महाशिवरात्रि साल की सबसे बड़ी शिवरात्रि में से एक मानी जाती है. इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने के बाद घर के पूजा स्थल पर जल से भरे कलश की स्थापना करें. इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति की स्थापना करें. फिर अक्षत, पान, सुपारी, रोली, मौली, चंदन, लौंग, इलायची, दूध, दही, शहद, घी, धतूरा, बेलपत्र, कमलगट्टा आदि भगवान को अर्पित करें. साथ ही पजून करें और अंत में आरती करें.
Mahashivratri 2023: महाशिवरात्रि पूजा मान्यताएं
मान्यता है कि इस दिन महादेव का व्रत रखने से सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है. महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव के लिंग स्वरूप का पूजन किया जाता है. यह भगवान शिव का प्रतीक है. शिव का अर्थ है- कल्याणकारी और लिंग का अर्थ है सृजन.
Mahashivratri 2023: जानें क्या है 4 प्रहर पूजा विधान
मान्यतानुसार, इस दिन भगवान की पूजा रात्रि के समय एक बार या फिर संभव हो तो चार बार करनी चाहिए. वेदों का वचन है कि रात्रि के चार प्रहर बताये गये हैं. इस दिन हर प्रहर में भगवान शिव की पूजा अत्यंत फलदायी है. इस पूजा से सभी कामनाएं पूर्ण होती हैं.
Mahashivratri 2023: पूजा सामग्री
भगवान शिव पर अक्षत, पान, सुपारी, रोली, मौली, चंदन, लौंग, इलायची, दूध, दही, शहद, घी, धतूरा, बेलपत्र, कमलगट्टा आदि भगवान को अर्पित करें. पजून करें और अंत में आरती करें.
Mahashivratri 2023: 4 प्रहर पूजा समय
महाशिवरात्रि पहले प्रहर की पूजा: 1 मार्च 2022 को 6:21 pm से 9:27 pm तक
महाशिवरात्रि दूसरे प्रहर की पूजा: 1 मार्च को रात्रि 9:27 pm से 12:33 am तक
महाशिवरात्रि तीसरे प्रहर की पूजा: 2 मार्च को रात्रि 12:33 am से सुबह 3:39 am तक
महाशिवरात्रि चौथे प्रहर की पूजा: 2 मार्च 2022 को 3:39 am से 6:45 am तक
व्रत का पारण: 2 मार्च 2022, बुधवार को 6:45 am
Mahashivratri 2023: पूजा के दौरान पढ़ें ये मंत्र
‘ओम अघोराय नम:।।
ओम तत्पुरूषाय नम:।।
ओम ईशानाय नम:।।
ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय’
महाशिवरात्रि का उपवास व जागरण क्यों ?
ऋषि महर्षियों ने समस्त आध्यात्मिक अनुष्ठानों में उपवास को महत्त्वपूर्ण माना है. गीता के अनुसार उपवास विषय निवृत्ति का अचूक साधन है. आध्यात्मिक साधना के लिये उपवास करना परमावश्यक है. उपवास के साथ रात्रि जागरण का महत्व है. उपवास से इन्द्रियों और मन पर नियंत्रण करने वाला संयमी व्यक्ति ही रात्रि में जागकर अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रयत्नशील हो सकता है. इन्हीं सब कारणों से इस महारात्रि में उपवास के साथ रात्रि में जागकर शिव पूजा करते हैं .
प्रहर के अनुसार शिवलिंग स्नान विधि
सनातन धर्म के अनुसार शिवलिंग स्नान के लिये रात्रि के प्रथम प्रहर में दूध, दूसरे में दही, तीसरे में घृत और चौथे प्रहर में मधु, यानी शहद से स्नान कराने का विधान है. इतना ही नहीं चारों प्रहर में शिवलिंग स्नान के लिये मंत्र भी अलग हैं जानें…
प्रथम प्रहर में- ‘ह्रीं ईशानाय नमः’
दूसरे प्रहर में- ‘ह्रीं अघोराय नमः’
तीसरे प्रहर में- ‘ह्रीं वामदेवाय नमः’
चौथे प्रहर में- ‘ह्रीं सद्योजाताय नमः’।। मंत्र का जाप करना चाहिए.
इसके साथ ही व्रती को पूजा, अर्घ्य, जप और कथा सुननी चाहिए और स्तोत्र पाठ करना चाहिए. अंत में भगवान शिव से भूलों के लिए क्षमा जरूर मांगनी चाहिए.
Mahashivratri 2023 Date: इस दिन पूजा करना का विशेष फलदायी
वैसे तो इस दिन मंदिर जाकर पूजन करना विशेष फलदायी होता है, लेकिन यदि आप नहीं जा पाते हैं तब भी घर पर ही पूजन करें.
Mahashivratri 2023: महाशिवरात्रि तिथि 2022
हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष महाशिवरात्रि का पर्व 01 मार्च, मंगलवार को है. चतुर्दशी तिथि मंगलवार की सुबह 03 बजकर 16 मिनट से शुरू होकर 02 मार्च, बुधवार को सुबह करीब 10 बजे तक रहेगी.
Shivratri 2023: महाशिवरात्रि पूजन विधि
फाल्गुन मास में आने वाली महाशिवरात्रि साल की सबसे बड़ी शिवरात्रि में से एक मानी जाती है. इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने के बाद घर के पूजा स्थल पर जल से भरे कलश की स्थापना करें. इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति की स्थापना करें. फिर अक्षत, पान, सुपारी, रोली, मौली, चंदन, लौंग, इलायची, दूध, दही, शहद, घी, धतूरा, बेलपत्र, कमलगट्टा आदि भगवान को अर्पित करें. साथ ही पजून करें और अंत में आरती करें.
भगवान शिव पर अर्पित करें ये सब चीजें
भगवान शिव पर अक्षत, पान, सुपारी, रोली, मौली, चंदन, लौंग, इलायची, दूध, दही, शहद, घी, धतूरा, बेलपत्र, कमलगट्टा आदि भगवान को अर्पित करें. पजून करें और अंत में आरती करें.
चार प्रहर में शिव पूजन का विधान
मान्यतानुसार, इस दिन भगवान की पूजा रात्रि के समय एक बार या फिर संभव हो तो चार बार करनी चाहिए. वेदों का वचन है कि रात्रि के चार प्रहर बताये गये हैं. इस दिन हर प्रहर में भगवान शिव की पूजा अत्यंत फलदायी है. इस पूजा से सभी कामनाएं पूर्ण होती हैं.
Mahashivratri 2023: शिव मंत्र
‘ओम अघोराय नम:।।
ओम तत्पुरूषाय नम:।।
ओम ईशानाय नम:।।
ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय’
Maha Shivratri 2023 Date: ये है मान्यता
मान्यता है कि इस दिन महादेव का व्रत रखने से सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है. महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव के लिंग स्वरूप का पूजन किया जाता है. यह भगवान शिव का प्रतीक है. शिव का अर्थ है- कल्याणकारी और लिंग का अर्थ है सृजन.
Mahashivratri Puja Significance: महाशिवरात्रि पूजा का महत्व
महाशिवरात्रि पर्व के यदि धार्मिक महत्व की बात की जाए तो महाशिवरात्रि शिव और माता पार्वती के विवाह की रात्रि मानी जाती है. मान्यता है इस दिन भगवान शिव ने सन्यासी जीवन से ग्रहस्थ जीवन की ओर रुख किया था. महाशिवरात्रि की रात्रि को भक्त जागरण करके माता-पार्वती और भगवान शिव की आराधना करते हैं. मान्यता है जो भक्त ऐसा करते हैं उनकी सभी मनोकामना पूरी होती है.
Maha Shivratri 2023 Puja Muhurat: पूजन मुहूर्त
आइए जानते हैं इस दिन चार पहर की पूजा का समय
महाशिवरात्रि पहले पहर की पूजा: 1 मार्च 2022 को 6:21 pm से 9:27 pm तक
महाशिवरात्रि दूसरे पहर की पूजा: 1 मार्च को रात्रि 9:27 pm से 12:33 am तक
महाशिवरात्रि तीसरे पहर की पूजा: 2 मार्च को रात्रि 12:33 am से सुबह 3:39 am तक
महाशिवरात्रि चौथे पहर की पूजा: 2 मार्च 2022 को 3:39 am से 6:45 am तक
व्रत का पारण: 2 मार्च 2022, बुधवार को 6:45 am
Maha Shivratri 2023 Date: यह है शिव मंत्र
‘ओम अघोराय नम:।।
ओम तत्पुरूषाय नम:।।
ओम ईशानाय नम:।।
ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय’
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