यह आयुर्वेद चिकित्सा विज्ञान की एक महत्वपूर्ण वनौषधि है। पुनर्नवा के ज़मीन पर फैलने वाले छोटी लताएँ जैसे पौधे बरसात में परती जमीन , कूड़े के ढेरों , सड़क के किनारे , जहाँ –तहां स्वयं उग जाते हैं।गर्मीयों में यह प्राय: सुख जाते हैं पर वर्षा में पुन: इसकी जड़ से नयी शाखाएँ निकलती है।पुनर्नवा का पौधा अनेक वर्षो तक जीवित रहता है।पुनर्नवा की लता नुमा हल्के लाल एवं काली शाखाएं 5- 7 फीट तक लम्बी जो जाती है पुनर्नवा की पत्तियां 1 – 1 ¼ इंच लम्बी ¾ – 1 इंच चौड़ी, मोटी ( मांसल) और लालिमा लिए हरे रंग की होती है।फूल छोटे छोटे हल्के गुलाबी रंग के होते हैं।पुनर्नवा के पत्ते और कोमल शाखाओं को हरे साग के रूप में खाया जाता है।इसे स्थानीय लोग खपरा साग के रूप से जानते हैं ।