प्रत्यंगिरा देवी भगवती काली का ही प्रचण्ड स्वरुप हैं। शरभ तथा गंडभेरुंड अवतार के बीच भीषण युद्ध 18 दिनों तक चलता रहा। उनके युद्ध के कारण तीनों लोको में त्राहिमाम मच गया।
तब माँ आदिशक्ति सृष्टि के कल्याण के उद्देश्य से आदिशक्ति ने भयंकर अवतार धारण कर लिया जिसका मुख शेर के समान था। उसमें शिव के शरभ अवतार, विष्णु के दोनों अवतारों (नरसिंह व गंडभेरुंड) की शक्तियां समाहित थी। यह रूप इतना विशाल था कि उसके समक्ष ब्रह्मांड अतिसूक्ष्म था।
भयंकर प्रत्यंगिरा रूप धारण करके माँ आदिशक्ति शरभ तथा गंडभेरुंड अवतार के पास गयी तथा एक जोरदार चिंघाड़ मारी। उन दोनों ने युद्ध रोक दिया तथा अपने असली अवतार में वापस आ गए। इस प्रकार माँ आदिशक्ति ने भगवान शिव तथा भगवान विष्णु के बीच चल रहे भीषण युद्ध का अंत किया।
यह रावण की कुल देवी भी हैं वहाँ पर देवी निकुम्बाला के नाम से विख्यात हैं | उत्तर भारत में माता प्रत्यङ्गिरा के बारे में कम जानते हैं, दक्षिण में प्रत्यंगिरा को बहुत पूजा जाता है वहां देवी के अनेको मंदिर हैं |
प्रत्यंगिरा शब्द दो शब्दों के मेल से बना हैं जिसका अर्थ होता है किसी प्रकार के आक्रमण/ तंत्र/ काला जादू को पलट देना अर्थात माँ प्रत्यंगिरा की पूजा करने से किसी प्रकार की नकारात्मक शक्ति, काला जादू इत्यादि के प्रभाव को समाप्त किया जा सकता है।
🚩जय माता दी🚩