ध्यान करने वाले साधक को ध्यान से आश्चर्यजनक लाभ I
लोगों की स्वास्थ्य के प्रति बढ़ती हुई जिज्ञासा और समझ ने कुछ बातों को एकाएक काफी बढ़ा दिया है। कुछ ही साल पहले की बात करें तो योग-प्राणायाम या ध्यान के बारे में लोगों की जानकारी और दिलचस्पी काफी कम या न के बराबर ही थी। लेकिन इधर दो-चार सालों में योग (आसान, प्राणायाम,ध्यान की तरफ लोगों का रुझान काफी बढ़ गया है। योग के 8 स्तरों- यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधी, में से भी ध्यान को सबसे ज्यादा लोकप्रिय, मान्य और तुरंत फायदा पहुंचाने वाला माना जाता है। सही रीति से ध्यान करने से उतने फायदे मिल सकते है, जितने कि किसी से सोचा भी न हो। आइये जानते हैं कि नियमित रूप से ध्यान करने वाले साधक को कैसे आश्चर्यजनक लाभ मिल सकते हैं… 1. हृदय संबंधी समस्याओं से जूझ रहे लोगों के लिये नियमित ध्यान बेहद मददगार साबित होता है। 2. मानसिक चंचलता और अस्थिरता पर नियंत्रण होता है। 3. मानसिक तनाव, चिंता, भय और हीनभावना से छुटकारा मिलता है। 4. कमजोर दिमाग और याद्दाश्त की समस्या से मुक्ति मिलती है। 5. गुस्सा करने की आदत धीरे-धीरे काबू में आ जाती है। 6. सूर्योदय के समय ध्यान करके दिन का प्रारंभ करने से पूरा दिन अच्छा और सकारात्मक माहौल बना रहता है। 7. लगातार लंबे समय तक ध्यान साधना करने से व्यक्ति में कुछ असामान्य शक्तियां या क्षमताएं आने लगती हैं-जैसे भविष्य में घटित होने वाली घटनाओं का पूर्वज्ञान, किसी के मन की बात जान लेना आदि… ध्यान मनुष्य के लिये एक श्रेष्ठ स्थिति है। चंचल मन तो मनुष्य को हर भल चलाता है इसलिये किसी लक्ष्य में संलिप्त होते ही उसका ध्यान उससे इतर विषयों पर चला जाता है। अनेक लोग एक लक्ष्य के साथ अनेक लक्ष्य निर्धारित करते हैं। इससे मस्तिष्क असंयमित हो जाता है और मनुष्य न इधर का रहता है न उधर का। जब कोई मनुष्य एकाग्र होकर किसी एक विषय में रम जाता है तब वह ध्यान का वह चरम प्राप्त कर लेता है जिसकी कल्पना केवल सहज योगी ही कर पाते हैं। मूलत यह स्थिति मस्तिष्क से खेले जाने वाले खेलों शतरंज, ताश और शतरंज में देखी जा सकती है जब खेलने वाले किसी अन्य काम का स्मरण तक नहीं कर पाते। हालांकि शारीरिक खेलों-बैटमिंटन, क्रिकेट, हॉकी तथा फुटबाल में इसकी अनुभूति देखी जा सकती है पर अन्य अंग चलायमान रहने से केवल खेलने वाले को ही इसका आभास हो सकता देखने वाले को नहीं। हम अक्सर खेलों के परिणामों का विश्लेषण करते हैं पर इस बात पर दृष्टिपात नहीं कर पाते कि जिसका अपने खेल में ध्यान अच्छा है वही जीतता है। हम केवल खिलाड़ी के हाथों के पराक्रम, पांवों की चंचलता तथा शारीरिक शक्ति पर विचार करते हैं पर जिस ध्यान की वजह से खिलाड़ी जीतते हैं उसे नहीं देख पाते। यहां तक कि अभ्यास से अपने खेल में पारंगत खिलाड़ी भी इस बात की अनुभूति नहंी कर पाते कि उनका ध्यान ही उनकी शक्ति होता है जिससे उनको विजय मिलती है। यह सब ध्यान का परिणाम है। यही कारण है कि जिन लोगों का स्वाभाविक रूप से ध्यान नहीं लगता उनको इसका अभ्यास करने के लिये कहा जाता है। इसका अभ्यास करने पर बुद्धि तीक्ष्ण होती है और अपने विषय में उपलब्धि होने पर मनुष्य के अंदर एक ऐसा प्रकाश फैलता है जिसके सुख की अनुभूति केवल वही कर सकता है।