अजपा जप
जप तीन तरह का होता है, वाचिक, उपांशु और मानसिक।
वाचिक जप :- इस जप में जिस मंत्र को जपा जाता है
वह मंत्र दूसरे व्यक्ति को सुनाई देता हो वह वाचिक जप है
उपांशु जप:- जो मंत्र को धीमी आवाज में सिर्फ होठ हिलते है मंत्र का आवाज कोई दूसरा सुन नही पता जो आवाज ह्रदय द्वारा निकलती है जो मंत्र को बुदबुदाते हुए पड़ते है उपांशु जप है
मानसिक जप:-जो मंत्र मौन होकर जपा जाता है जिस मंत्र को मानसिक तौर पर जपा जाता है वह मानसिक जप है
अजपा जप जो मानसिक तौर पर जपा हुआ जो जप जिसकी कोई संख्या नही अगर और गहराई में उतरा जाए तो सोहम साधना जब हम श्वास लेते है तब सो जब छोड़ते है तब हम श्वास की साधना जिसका अर्थ में ही हु
आत्मा और परमात्मा में कोई भिन्न नही अहम ब्रम्ह केवल आत्मा और परमात्मा यह दो ही ना होकर यह तत्व एक है यह ही अजपा है