एक डेड फुट लम्बा और अपना ही चौड़ा सफेद मोटा पेपर चार्ट पेपर ले
उसके ठीक मध्य भाग में एक इंच वृताकार गोल काली बिंदी बनाये इस के लिए एक रुपये का छोटा सिके का इस्तेमाल गोल बनाने के लिए किया जा सकता है गोल बनाने के लिए इंक (स्याही )का प्रयोग करना चाहिए काली बिंदी की स्याही सब जगह इकसार हो कहि भी कम या ज्यादा नही हो
उसी काली बिंदी के ठीक मध्यभाग में एक चमकदार पीली छोटी सी गोल बिंदु भी बना दे
अभ्यास की विधि
अपने बैठने के स्थान से चार फुट की दूरी पर इतनी ऊंचाई पर टांगे की जब आप सामने बैठे तो उस पर अंकित कला बिंदु आपकी दृष्टि के ठीक सामने बना रहे उस पर दृष्टि जमाने के लिए आप का सिर ऊपर या नीचे ना करना पड़े
सामने की दीवार हल्के कलर का हो और दीवार एक सार हो अगर दीवार सफेद हो तो बहोत अच्छा है दीवार पर कोई भी गहरा रंग ना हो जहा अभ्यास करना है वो एक दम शांत तो यह तक कि घड़ी की ठीक ठीक की आवाज भी नही आनी चाहिए कमर एक दम साफ हो
अब बिंदु बोर्ड के मध्यभाग में पीली बिंदु पर अपनी दृष्टि जमाये विणा पलक झपकाए वीना एकटक जितने देर तक देख सके देखे ऐसा करते समय आखो से पानी आना या आखो के ढेले में दर्द हो सकता है ऐसे में पलको को झपकने से रोकने का प्रयास करे ज्यादा से ज्यादा टकटकी लगा कर देखना है बिंदु को देखते समय किसी भी प्रकार के विचारो को या कल्पना को दूर रखें
एकाग्रचित होकर यही सोचे
मेरी दृष्टि काले वृत के मध्य स्थित पीली बिंदु जे पार चली जा रही है
जब आखो के असहनीय दर्द हो जाये या पलके अपने आप बंद हो जाये तब अभ्यास बंद कर देना चाहिए दूसरे दिन फिर से यही क्रम करना चाहिए
अभ्यास सुबह 6 से 8 बजे के बीच मे करना चाहिए
अगर फिर भी समय की कोई समस्या हो तो कभी भी कर सकते है पर 6 से 8 का टाइम अतिउत्तम है
अभ्यास के समय पेट बिल्कुल खाली हो
हर रोज अभ्यास का समय बढ़ता जाए यह प्रयास करना चाहिए
साधना काल में बहोत कुछ होगा कभी गोला बड़ा कभी छोटा होगा बहोत कुछ अनुभूतिया होगी
साधना करते समय आपकी दृष्टि पीली बिंदु के पार चली जा रही है आप स्वयं भी उसकी गहराई में उतरते चले जा रहे है यही सोचना है
पहले बिंदु हिलता हुआ दिखाई देगा
अगर बिंदु हिलना बंद हो जाये और पीली बिंदु के पार दिखाई देने लगे तब समजो साधना पूरा हुआ