खुशी उड़ती हुई तितली की तरह है जिसे पकड़ने के लिये हम जितना दौड़ेंगे ..ये उतना ही हमसे दूर चली जायेगी। यदि हम शान्त मुद्रा में एक जगह स्थिर हो जाएंगे तो ये अपने आप हमारे कंधे के पास बैठ जायेगी। इसलिए हमें खुशी के पीछे नहीं भागना है… उसे महसूस करना है।
खुशी उड़ती हुई तितली की तरह है जिसे पकड़ने के लिये हम जितना दौड़ेंगे ..ये उतना ही हमसे दूर चली जायेगी। यदि हम शान्त मुद्रा में एक जगह स्थिर हो जाएंगे तो ये अपने आप हमारे कंधे के पास बैठ जायेगी। इसलिए हमें खुशी के पीछे नहीं भागना है… उसे महसूस करना है।