सूर्य अर्घ्य मन्त्र
एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते ।
अनुकम्पय मां देवी गृहाणार्घ्यं दिवाकर ।।
जुड़ कर औरों को जोड़ कर चले, आओ अपनी संस्कृति को सहज कर चले।
सूर्य अर्घ्य मन्त्र
एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते ।
अनुकम्पय मां देवी गृहाणार्घ्यं दिवाकर ।।