गायत्री मंत्र

ॐ भूर्भव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं

भर्गो देवस्य धीमहि

धियो यो न: प्रचोदयात्।

गायत्री मंत्र शब्द की व्याख्या

गायत्री मंत्र के पहले नौं शब्द प्रभु के गुणों की व्याख्या करते हैं
ॐ = प्रणव
भूर = मनुष्य को प्राण प्रदाण करने वाला
भुवः = दुख़ों का नाश करने वाला
स्वः = सुख़ प्रदाण करने वाला
तत = वह, सवितुर = सूर्य की भांति उज्जवल
वरेण्यं = सबसे उत्तम
भर्गो = कर्मों का उद्धार करने वाला
देवस्य = प्रभु
धीमहि = आत्म चिंतन के योग्य (ध्यान)
धियो = बुद्धि, यो = जो, नः = हमारी, प्रचोदयात् = हमें शक्ति दें (प्रार्थना)

1. गणेश :- ॐ एकदन्ताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्ती प्रचोदयात् ।।

2. गणेश :- ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्ती प्रचोदयात् ।।

3. ब्रह्मा :- ॐ वेदात्मने विद्महे, हिरण्यगर्भाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ।।

4. ब्रह्मा :- ॐ चतुर्मुखाय विद्महे, कमण्डलु धाराय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ।।

5. ब्रह्मा:- ॐ परमेश्वर्याय विद्महे, परतत्वाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ।।

6. विष्णु:- ॐ नारायणाय विद्महे, वासुदेवाय धीमहि, तन्नो विष्णु प्रचोदयात् ।।

7. रुद्र :- ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो रुद्र: प्रचोदयात् ।।

8. रुद्र :- ॐ पंचवक्त्राय विद्महे, सहस्राक्षाय महादेवाय धीमहि, तन्नो रुद्र प्रचोदयात् ।।

9. दक्षिणामूर्ति :- ॐ दक्षिणामूर्तये विद्महे, ध्यानस्थाय धीमहि, तन्नो धीश: प्रचोदयात् ।।

10. हयग्रीव :- ॐ वागीश्वराय विद्महे, हयग्रीवाय धीमहि, तन्नो हंस: प्रचोदयात् ।।

11. दुर्गा :- ॐ कात्यायन्यै विद्महे, कन्याकुमार्ये च धीमहि, तन्नो दुर्गा प्रचोदयात् ।।

12. दुर्गा :- ॐ महाशूलिन्यै विद्महे, महादुर्गायै धीमहि, तन्नो भगवती प्रचोदयात् ।।

13. दुर्गा :- ॐ गिरिजाय च विद्महे, शिवप्रियाय च धीमहि, तन्नो दुर्गा प्रचोदयात् ।।

14. सरस्वती :- ॐ वाग्देव्यै च विद्महे, कामराजाय धीमहि, तन्नो देवी प्रचोदयात् ।

15. लक्ष्मी:- ॐ महादेव्यै च विद्महे, विष्णुपत्न्यै च धीमहि, तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ।।

16. शक्ति :- ॐ सर्वसंमोहिन्यै विद्महे, विश्वजनन्यै धीमहि, तन्नो शक्ति प्रचोदयात् ।।

17. अन्नपूर्णा :- ॐ भगवत्यै च विद्महे, महेश्वर्यै च धीमहि, तन्नोन्नपूर्णा प्रचोदयात् ।।

18. काली :- ॐ कालिकायै च विद्महे, श्मशानवासिन्यै धीमहि, तन्नो घोरा प्रचोदयात् ।।

19. नन्दिकेश्वरा :- ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, नन्दिकेश्वराय धीमहि, तन्नो वृषभ: प्रचोदयात् ।।

20. गरुड़ :- ॐ तत्पुरूषाय विद्महे, सुवर्णपक्षाय धीमहि, तन्नो गरुड: प्रचोदयात् ।।

21. हनुमान :- ॐ आंजनेयाय विद्महे, वायुपुत्राय धीमहि, तन्नो हनुमान् प्रचोदयात् ।।

22. हनुमान :- ॐ वायुपुत्राय विद्महे, रामदूताय धीमहि, तन्नो हनुमत् प्रचोदयात् ।।

23. शण्मुख :- ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महासेनाय धीमहि, तन्नो शण्मुख प्रचोदयात् ।।

24. अयप्पन :- ॐ भूतादिपाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो शास्ता प्रचोदयात् ।।

25. धनवन्तरी :- ॐ अमुद हस्ताय विद्महे, आरोग्य अनुग्रहाय धीमहि, तन्नो धनवन्त्री प्रचोदयात् ।।

26. कृष्ण :- ॐ देवकीनन्दनाय विद्महे, वासुदेवाय धीमहि, तन्नो कृष्ण प्रचोदयात् ।।

27. राधा :- ॐ वृषभानुजाय विद्महे, कृष्णप्रियाय धीमहि, तन्नो राधा प्रचोदयात् ।।

28. राम :- ॐ दशरथाय विद्महे, सीता वल्लभाय धीमहि, तन्नो रामा: प्रचोदयात् ।।

29. सीता :- ॐ जनकनन्दिंयै विद्महे, भूमिजयै धीमहि, तन्नो सीता प्रचोदयात् ।।

30. तुलसी:- ॐ तुलसीदेव्यै च विद्महे, विष्णुप्रियायै च धीमहि, तन्नो वृन्दा प्रचोदयात् ।।

गायत्री मंत्र वेदों का एक महत्त्वपूर्ण मंत्र है मंत्रों के माध्यम से ऐसे बहुत से दोष बहुत हद तक नियंत्रित किए जा सकते हैं जिसकी महत्वता ॐ के बराबर मानी जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस मंत्र के उच्चारण और इसे समझने से ईश्वर की प्राप्ति होती है। आर्ष मान्यता के अनुसार गायत्री एक ओर विराट् विश्व और दूसरी ओर मानव जीवन, एक ओर देवतत्व और दूसरी ओर भूततत्त्व, एक ओर मन और दूसरी ओर प्राण, एक ओर ज्ञान और दूसरी ओर कर्म के पारस्परिक संबंधों की पूरी व्याख्या कर देती है। सभी देवी देवताओं को प्रसन्न करने के लिये उनके अलग-अलग गायत्री मंत्र हैं। आइए जानते है कि वो मंत्र क्या है।

देवी गायत्री मंत्र –

ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्

गणेश गायत्री मंत्र:-

ॐ एक्दंताये विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्ती प्रचोदयात् ।।

ब्रह्मा गायत्री मंत्र:-

ॐ वेदात्मने विद्महे, हिरण्यगर्भाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ।।

ब्रह्मा गायत्री मंत्र:-

ॐ चतुर्मुखाय विद्महे, कमण्डलु धाराय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ।।

ब्रह्मा गायत्री मंत्र:-

ॐ परमेश्वर्याय विद्महे, परतत्वाय धीमहि, तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात् ।।

विष्णु गायत्री मंत्र:-

ॐ नारायणाय विद्महे, वासुदेवाय धीमहि, तन्नो विष्णु प्रचोदयात् ।।

रुद्र गायत्री मंत्र:-

ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो रुद्र: प्रचोदयात् ।।

रुद्र गायत्री मंत्र:-

ॐ पञ्चवक्त्राय विद्महे, सहस्राक्षाय महादेवाय धीमहि, तन्नो रुद्र प्रचोदयात् ।।

दक्षिणामूर्ती गायत्री मंत्र:-

ॐ दक्षिणामूर्तये विद्महे, ध्यानस्थाय धीमहि, तन्नो धीश: प्रचोदयात् ।।

हयग्रीव गायत्री मंत्र:-

ॐ वागीश्वराय विद्महे, हयग्रीवाय धीमहि, तन्नो हंस: प्रचोदयात् ।।

दुर्गा गायत्री मंत्र:-

ॐ कात्यायन्यै विद्महे, कन्याकुमार्ये च धीमहि, तन्नो दुर्गा प्रचोदयात् ।।

दुर्गा गायत्री मंत्र:-

ॐ महाशूलिन्यै विद्महे, महादुर्गायै धीमहि, तन्नो भगवती प्रचोदयात् ।।

दुर्गा गायत्री मंत्र:-

ॐ गिरिजाय च विद्महे, शिवप्रियाय च धीमहि, तन्नो दुर्गा प्रचोदयात् ।।

सरस्वती गायत्री मंत्र:-

ॐ वाग्देव्यै च विद्महे, कामराजाय धीमहि, तन्नो देवी प्रचोदयात् ।।

लक्ष्मी गायत्री मंत्र:-

ॐ महादेव्यै च विद्महे, विष्णुपत्न्यै च धीमहि, तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ।।

शक्ति गायत्री मंत्र:-

ॐ सर्वसंमोहिन्यै विद्महे, विश्वजनन्यै धीमहि, तन्नो शक्ति प्रचोदयात् ।।

अन्नपूर्णा गायत्री मंत्र:-

ॐ भगवत्यै च विद्महे, महेश्वर्यै च धीमहि, तन्नोन्नपूर्णा प्रचोदयात् ।।

काली गायत्री मंत्र:-

ॐ कालिकायै च विद्महे, स्मशानवासिन्यै धीमहि, तन्नो घोरा प्रचोदयात् ।।

नन्दिकेश्वरा गायत्री मंत्र:-

ॐ तत्पुरूषाय विद्महे, नन्दिकेश्वराय धीमहि, तन्नो वृषभ: प्रचोदयात् ।।

गरुड़ गायत्री मन्त्र:-

ॐ तत्पुरूषाय विद्महे, सुवर्णपक्षाय धीमहि, तन्नो गरुड: प्रचोदयात् ।।

हनुमान गायत्री मंत्र:-

ॐ आञ्जनेयाय विद्महे, वायुपुत्राय धीमहि, तन्नो हनुमान् प्रचोदयात् ।।

हनुमान गायत्री मंत्र:-

ॐ वायुपुत्राय विद्महे, रामदूताय धीमहि, तन्नो हनुमत् प्रचोदयात् ।।

शण्मुख गायत्री मंत्र:-

ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महासेनाय धीमहि, तन्नो शण्मुख प्रचोदयात् ।।

ऐयप्पन गायत्री मंत्र:-

ॐ भूतादिपाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो शास्ता प्रचोदयात् ।।

धनवन्त्री गायत्री मंत्र:-

ॐ अमुद हस्ताय विद्महे, आरोग्य अनुग्रहाय धीमहि, तन्नो धनवन्त्री प्रचोदयात् ।।

कृष्ण गायत्री मंत्र:-

ॐ देवकीनन्दनाय विद्महे, वासुदेवाय धीमहि, तन्नो कृष्ण प्रचोदयात् ।।

राधा गायत्री मंत्र:-

ॐ वृषभानुजाय विद्महे, कृष्णप्रियाय धीमहि, तन्नो राधा प्रचोदयात् ।।

राम गायत्री मंत्र:-

ॐ दशरताय विद्महे, सीता वल्लभाय धीमहि, तन्नो रामा: प्रचोदयात् ।।

सीता गायत्री मंत्र:-

ॐ जनकनन्दिंयै विद्महे, भूमिजयै धीमहि, तन्नो सीता प्रचोदयात् ।।

तुलसी गायत्री मंत्र:-

ॐ तुलसीदेव्यै च विद्महे, विष्णुप्रियायै च धीमहि, तन्नो वृन्दा प्रचोदयात् !

सूर्य गायत्री

आदित्याय विद्महे मार्तण्डाय धीमहि तन्नः सूर्यः प्रचोदयात् ।।

अन्नपूर्णा गायत्री

ओं भगवत्यै च विद्महे, महेश्वर्यै च धीमहि, तन्नो पूर्णा प्रचोदयात् ।।

अग्नि गायत्री

ओं महा ज्वालाया विधमहे, अग्नि देवाय धीमहि, तन्नो अग्नि प्रचोदयात् ।। ओं विश्वनाराय विधमहे, लालीलाय धीमहि, तन्नो अग्नि प्रचोदयात् ।।

गरुड़ गायत्री

ओं तत्पुरुषाय विधमहे, सुवर्णा पक्षाया धीमहे, तन्नो गरूडा प्रचोदयात् ।।

कुबेर गायत्री

ओं यक्षा राजाया विद्महे, वैशरावनाया धीमहि, तन्नो कुबेराह प्रचोदयात् ।।

कामदेव गायत्री

ओं कामदेवाया विद्महे, पुष्पा बनाया धीमहि, तन्नो अनंगहा प्रचोदयात् ।।

शक्ति गायत्री

ओं सर्वसंमोहिन्यै विद्महे, विश्वजनन्यै धीमहि, तन्नो शक्ति प्रचोदयात् ।।

38. नन्दिकेश्वरा गायत्री
ओं तत्पुरूषाय विद्महे, नन्दिकेश्वराय धीमहि, तन्नो वृषभ: प्रचोदयात् ।।

39. धनवन्त्री गायत्री
ओं अमुद हस्ताय विद्महे, आरोग्य अनुग्रहाय धीमहि, तन्नो धनवन्त्री प्रचोदयात् ।।

40 शिरडी साइ गायत्री
ओं शिरडी वासाया विधमाहे, सच्चिदानन्द धीमहि, तन्नो साइ प्रचोदयात् ।।

जिस प्रकार शस्त्र के उपयोग हेतु अनुज्ञापत्र (license) लेना आवश्यक होता है और अनुज्ञापत्र (license) भी उसी व्यक्ति को प्राप्त होता है जो व्यक्ति उस शस्त्र के द्वारा आमजन को अकारण हानि न पहुंचाए। ठीक उसी प्रकार से अनेक मंत्रो व स्तोत्रों को कीलित/शापित कर दिया जाता है ताकि मंत्रो के द्वारा कोई गलत कार्य न कर सके एवं उत्कीलन विधि को गुप्त रखा जाता है जो मात्र गुरु के द्वारा ही अपने योग्य शिष्य को दिया जाता है ऐंसा शिष्य जो उस तंत्र मंत्र का गलत प्रयोग न करे।

धार्मिक पुस्तकों मे वर्णित अनेकों मंत्रो को कीलित किया गया है उनमे से एक है “गायत्री मंत्र” । गायत्री मंत्र को जपने के पूर्व उसको शाप मुक्त करना आवश्यक होता है। गायत्री मंत्र ब्रह्मा, वसिष्ठ, विश्वामित्र एवं शुक्र के द्वारा शापित है | गायत्री मंत्र शाप विमोचन विधि नीचे दी गई है एक एक करके आपको चारों मंत्र पढ़ना है। गायत्री मंत्र का गलत प्रयोग होने से रोकने हेतु उसको शापित कर दिया गया है।

ब्रह्मा शाप विमोचन
विनियोगः
ॐ अस्य श्री ब्रह्मशापविमोचनमंत्रस्य ब्रह्माऋषिर्भुक्तिमुक्तिप्रदा ब्रह्मशापविमोचनी गायत्रीशक्तिर्देवता गायत्रीछन्दः ब्रह्मशापविमोचने विनियोगः |
मंत्र-गायत्री ब्रह्मेत्युपासीत यद्रूपं ब्रह्मविदो विदुः |
तां पश्यन्ति धीराः सुमनसो वाचमग्रतः |
ॐ वेदांतनाथाय विद्महे हिरण्यगर्भाय धीमहि तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात |
ॐ देवी गायत्रीत्वं ब्रह्मशापाद्विमुक्ता भव |

वसिष्ठ शाप विमोचन
विनियोगः
ॐ अस्य श्री वसिष्ठशापविमोचनमंत्रस्य निग्रहानुग्रहकर्ता वसिष्ठऋषिर्वशिष्टानु गृहीता गायत्री शक्तिर्देवता विश्वोद्भवा गायत्री छन्दः वसिष्ठशाप विमोचनार्थं जपे विनियोगः |
ॐ सोऽहंअर्कमयं ज्योतिरात्मज्योतिरहं शिवः |
आत्मज्योतिरहं शुक्रः सर्वज्योतिरसोस्म्यहं |
(( इस मंत्र को बोलकर फिर योनि मुद्रा दिखाए फिर तीन बार गायत्री मंत्र जपे ))
ॐ देवी गायत्री त्वं | वसिष्ठशापाद्विमुक्ता भव |

विश्वामित्र शाप विमोचन
विनियोगः
ॐ अस्य श्री विश्वमित्राशापविमोचनमंत्रस्य नूतनसृष्टिकर्ता विश्वामित्रऋषिर्विश्वामित्रानुगृहिता गायत्री शक्तिर्देवता वाग्देहा गायत्री छन्दः विश्वामित्रशापविमोचनार्थं जपे विनियोगः |
ॐ गायत्रीं भजाम्यग्नीमुखीं विश्वगर्भां समुद्भवाः |
देवाश्चक्रिरे विश्वसृष्टिं तां कल्याणीमिष्टकरीं प्रपद्ये |
ॐ देवि गायत्री त्वं विश्वामित्रशापाद्विमुक्ता भव |

शुक्र शाप विमोचन
विनियोगः
ॐ अस्य श्री शुक्रशापविमोचन मंत्रस्य श्री शुक्र ऋषिः अनुष्टुप्छन्दः देवी गायत्री देवता शुक्रशापविमोचनार्थे जपे विनियोगः |
सोऽहंअर्कमयं ज्योतिरर्क ज्योतिरहंशिवः |
आत्मज्योतिरहं शुक्रः सर्वज्योतिरसोस्म्यहं |
ॐ देवी गायत्री त्वं शुक्रशापाद्विमुक्ता भव |

उपरोक्त मंत्र पढ़ने के बाद फिर सभी से एक साथ प्रार्थना करें।
ॐ अहो देवि महादेवि संध्ये विद्ये सरस्वति |
अजरे अमरे चैव ब्रह्मयोनिर्नमोस्तु ते |
ॐ देवी गायत्री त्वं ब्रह्मशापाद्विमुक्ता भव, वसिष्ठशापाद्विमुक्ताभव, विश्वामित्रशापाद्विमुक्ता भव, शुक्रशापाद्विमुक्ता भव |

गायत्री मंत्र:- “ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो न: प्रचोदयात्”
इस विधि से गायत्री मंत्र शाप विमोचन करके मंत्र का जाप करें।

One thought on “गायत्री मंत्र

  1. Start with POWERFUL MANTRA

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