चन्द्र अर्ध्य मन्त्र
क्षीरोदार्णवसम्भूत अत्रिगोत्रसमुद् भव ।
गृहाणार्ध्यं शशांकेदं रोहिण्य सहितो मम ।।
जुड़ कर औरों को जोड़ कर चले, आओ अपनी संस्कृति को सहज कर चले।
चन्द्र अर्ध्य मन्त्र
क्षीरोदार्णवसम्भूत अत्रिगोत्रसमुद् भव ।
गृहाणार्ध्यं शशांकेदं रोहिण्य सहितो मम ।।