अन्नपूर्णा मन्त्र

अन्नपूर्णा मन्त्र

अन्नपूर्णे सदा पूर्णे शंकरप्राणवल्लभे ।
ज्ञानवैराग्यसिद्ध्य भिक्षां देहि च पार्वति ।।

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