परिचय वैदिक हीलिंग उपचार

आज हम लोग नई अति प्रचीन एवं पूर्णत स्वदेशी एव सनातनी किसी कि चिकित्सा पद्धति का अनुसरण तत्पर हो रहे है
सम्भवत: सृष्टि के आदिकाल में हमारे ऋषि एवं मनीषियों ने अपने आत्म चिंतन एंव स्वानुभूत प्रयोग द्वारा एव वैचारिक संकलन प्रस्तुत किया जिसे वेद का नाम दिया आज भी वेद हमारे देश एवं धर्म की आदि पुस्तक के रूप में मान्य है
वेद वास्तव में सिर्फ हिन्दु धर्म ही नही दुनिया की प्रचलित वर्तमान की समस्त संस्कृतियों में सबसे पुरातन ग्रंथ है पल्लविल होती हुई सभ्यता के पुरोधा ऋषियों की मननोपरन्त प्रस्फुटित वाणी जो विज्ञान की कसौटी पर बार बार खरी उतरी है आज की तमाम वैज्ञानिक खोजो को शुत्र रूप में वेदों की त्रहचओ में देखी जा सकती है मित्रो ये कोई नया अनुसंधान नही है ये ऋषियों द्वारा प्रचारित एंव प्रसारित है जो समय के चलते लिप्तप्राय हो गयी थी

वैदिक चिकित्सा वेदकालीन नियमो एवं जीवन पद्धतियों तथा विचारो के अनुसार अन्वेषित चिकित्सा पद्धति है जिसमे रोग ग्रस्त मनुष्य के आचार विचार भोजन भ्रमण सभी सभी को ध्यान में रख के दैवीय तरगों का सहारा ले कर सूक्ष्म से सूक्ष्मतर करने स्वास प्राणायाम द्वारा रोगी के शरीर मे प्रवाहित किया जाता है और औषधिय लाभ दिया जाता है इसलिए वैदिक चिकित्सा में ध्यान प्रणायाम, योगासन एवं यज्ञ संस्कार का विशेष महत्व है
हम जानते है कि लोगो के बहुसंख्य रोग तो ऐसे है जिसका कोई वायरस या वैक्टीरिया जैसा रोगाणु है ही नही वो केवल गलत आचार – विचार वाली दिनचर्या एव रात्रिचर्या के कारण होते है जिसे हम भागम भाग ज़िन्दजी का नाम देकर खुस होते है वास्तव में यही रोग का कारण है साथ ही इसलिए चिकित्सा उन औषधियो में टूटते है जो एक रोग को दबाकर दूसरे रोग को निर्माण कर देते है परिणाम स्वरूप रोग समाप्त तो नही होता बल्कि औऱ बड़ा देता है वास्तव में इन रोगों की चिकित्सा से ज्यादा जरूरी इनका उपचार है जरूरत इनको दबाने की नही जड़ से उखाड़ फेंकने की है जो केवल वैदिक चिकित्सा के द्वारा ही संभव है

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