नवग्रह मन्त्र ॐ ब्रह्मा मुरारिस्त्रिपुरान्तकारी, भानुः शशी भूमिसुतो बुधश्च ।गुरुश्च शुक्रः शनिराहु केतवः, सर्वे ग्रहा शान्तिकरा भवन्तु ।।
संग्रह
भोग लगाने का मन्त्र
भोग लगाने का मन्त्र त्वदीयं वस्तु गोविन्द तुभ्यमेव समर्पये ।गृहाण सम्मुखो भूत्वा प्रसीद परमेश्वर ।।
भोजन से पूर्व बोलने का मन्त्र
भोजन से पूर्व बोलने का मन्त्र ब्रह्मार्पणं ब्रह्महविर्ब्रह्माग्नौ ब्रह्मणा हुतम् ।ब्रह्मैव तेन गन्तव्यं ब्रह्मकर्म समाधिना ।।