स्नान मन्त्र
गंगे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति ।
नर्मदे सिन्धु कावेरि जलऽस्मिन्सन्निधिं कुरु ।।
जुड़ कर औरों को जोड़ कर चले, आओ अपनी संस्कृति को सहज कर चले।
स्नान मन्त्र
गंगे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति ।
नर्मदे सिन्धु कावेरि जलऽस्मिन्सन्निधिं कुरु ।।